अभ्यास का महत्त्व
अभ्यास का महत्त्व प्राचीन समय में विद्यार्थी गुरुकुल में रहकर ही पढ़ा करते थे।. बच्चे को शिक्षा ग्रहण करने के लिए गुरुकुल में भेजा जाता था। बच्चे गुरुकुल में गुरु के सानिध्य में आश्रम की देखभाल किया करते थे. और अध्ययन भी किया करते थे। वरदराज को भी सभी की तरह गुरुकुल भेज दिया गया। वहां आश्रम में अपने साथियों के साथ घुलने मिलने लगा। लेकिन वह पढ़ने में बहुत ही कमजोर था। गुरुजी की कोई भी बात उसके बहुत कम समझ में आती थी। इस कारण सभी के बीच वह उपहास का कारण बनता है। उसके सारे साथी अगली कक्षा में चले गए लेकिन वो आगे नहीं बढ़ पाया। गुरुजी जी ने भी आखिर हार मानकर उसे बोला, “बेटा वरदराज! मैने सारे प्रयास करके देख लिये है। अब यही उचित होगा कि तुम यहां अपना समय बर्बाद मत करो। अपने घर चले जाओ और घरवालों की काम में मदद करो।” वरदराज ने भी सोचा कि शायद विद्या मेरी किस्मत में नहीं हैं। और भारी मन से गुरुकुल से घर के लिए निकल गया गया। दोपहर का समय था। रास्ते में उसे प्यास लगने लगी। इधर उधर देखने पर उसने पाय...